राज्य सरकार ने बुधवार को चार साल से पदोन्नति का रास्ता देख रहे एक लाख कर्मचारियों को पदोन्नति दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया है। कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण के मामले में फैसला न आने तक कर्मचारियों को राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) और राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) की तर्ज पर पदोन्नति दिए जाने का फैसला लिया है। नई व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को समयमान वेतनमान ‘टाइम स्केल’ दिया जा रहा है, जिसके अनुसार उन्हें 10, 20 और 30 साल की सेवा के बाद उच्च पद का वेतनमान मिल रहा है, उसी के अनुरूप ‘पदनाम’ दे दिया जाएगा। प्रदेश में कर्मचारियों के 2016 से पदोन्नति के कोई नियम नहीं है। हाईकोर्ट ने एक फैसले में सरकार के 2002 के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में विसंगति होने के कारण निरस्त कर दिया था।
इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है, लेकिन अभी प्रकरण विचाराधीन है। इस स्थिति में उच्च पदों पर काम कर रहे अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं और प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह से चरमराने के कगार पर हैं। सामान्य प्रशासन मंत्री डा. गोविंद सिंह का कहना है कि कोर्ट का फैसला न आने तक यह व्यवस्था की गई है।
25 हजार कर्मचारियों को मिलेगा अफसर का पदनाम
राज्य सरकार में 25 साल पहले सेवा में आए कर्मचारियों को अभी से द्वितीय श्रेणी राजपत्रित और क्लास-1 और सुपर क्लास-1 का पदभार दे दिया जाएगा। हालांकि ये पदभार सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के विचाराधीन होगा। यानी कर्मचारी की सहायक ग्रेड-3 के पद पर भर्ती हुई है और 25 साल की सेवा के बाद उसे दो उच्च पद यानी सहायक ग्रेड-2 और सहायक ग्रेड-1 और उच्च पद सेक्शन आफिसर का वेतनमान मिल रहा है तो एेसे कर्मचारी का पदनाम ‘सेक्शन आफिसर’ करते हुए उसे उक्त पद का पदभार दे दिया जाएगा।
ऐसे अफसर का पदभार ग्रहण करने वालों की संख्या 25 हजार के करीब होगी। करीब 70 हजार कर्मचारियों को उच्च पद यानी सहायक ग्रेड-1 और प्रशासकीय अधिकारी का पदनाम और पदभार मिलेगा। वहीं, अफसर यानी सहायक संचालक के पद से अफसर की भर्ती होती है और उसे टाइम स्केल के हिसाब से उप संचालक, संयुक्त संचालक और अपर संचालक। यानी एक हजार अफसरों को अपर संचालक का पदनाम और पद